NEWS9 Global ‘कितने सुरक्षित हमारे स्कूल’ अभियान के तहत भागलपुर की पड़ताल: मंदिर नहीं, मलबा है ये स्कूल!

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बचपन से हम सबको सिखाया गया कि स्कूल एक मंदिर होता है, लेकिन अगर यही मंदिर जानलेवा बन जाए तो? NEWS9 Global Team के “कितने सुरक्षित हमारे स्कूल” अभियान के तहत भागलपुर जिले के सरकारी स्कूलों की पड़ताल में जो हकीकत सामने आई है, वह न सिर्फ चौंकाने वाली है, बल्कि शिक्षा व्यवस्था पर भी सवाल खड़े करती है।

भागलपुर, बिहार: रिपोर्ट: NEWS9 GLOBAL टीम : 8 साल पहले घोषित हुआ था जर्जर, आज भी दो स्कूल उसी भवन में

तिलकामांझी स्थित मुक्ति विद्यालय परिसर का एक दो मंजिला भवन आठ साल पहले ही जिला शिक्षा विभाग के इंजीनियरों द्वारा जर्जर घोषित किया जा चुका है। आदेश था भवन को तोड़ा जाए। लेकिन हकीकत यह है कि आज भी उसी खतरनाक इमारत में दो-दो स्कूल संचालित हो रहे हैं।
सुबह की शिफ्ट में मदनलाल कन्या प्लस टू विद्यालय की करीब 200 छात्राएं वहीं पढ़ती हैं और दिन में मध्य विद्यालय के 240 बच्चे
भवन की दीवारें दरक चुकी हैं, छत से प्लास्टर गिरता है, खिड़कियां टूटी हैं, दरवाजे जर्जर हैं और फर्श भी क्षतिग्रस्त है। इसके बावजूद कक्षाएं चल रही हैं और यहां मैट्रिक व इंटर की परीक्षा का सेंटर भी बना दिया जाता है।

जब तक हादसा न हो, तब तक कार्रवाई नहीं?

राजस्थान के बांसवाड़ा जिले में जब हाल ही में एक स्कूल की छत गिरने से बड़ा हादसा हुआ, तब भी कई राज्यों के शिक्षा विभाग जागे नहीं। भागलपुर में भी ऐसा ही हाल है। प्रशासन खतरे को नजरअंदाज कर रहा है और शायद किसी बड़े हादसे का इंतजार कर रहा है।

छात्राएं डरी हुई हैं, लेकिन मजबूरी है

अकबरनगर के कन्या मध्य विद्यालय श्रीरामपुर की हालत भी कम खराब नहीं।
1971 में बने इस विद्यालय की छत से लोहे की छड़ (सरिया) तक दिखने लगी है। प्लास्टर गिरता है, दीवारों में दरारें हैं और फर्श पूरी तरह से खराब हो चुका है।
प्रधानाध्यापिका ममता कुमारी कहती हैं, “कई बार भवन की मरम्मत की मांग की गई, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। शिक्षक और बच्चे डर के साए में पढ़ाई कर रहे हैं।”

शौचालय और प्राथमिक उपचार की भी भारी कमी

  • शौचालय हैं, लेकिन इतनी गंदगी कि इस्तेमाल नहीं हो सकते।

  • प्राथमिक उपचार किट तक मौजूद नहीं है।

  • अग्निशमन यंत्र की भी कोई व्यवस्था नहीं है।

क्या कहता है प्रशासन?

डीपीओ (SSA) शिवकुमार वर्मा का कहना है, “स्कूल की स्थिति की जानकारी मिली है। इंजीनियरों की टीम भेजकर वस्तुस्थिति का जायजा लिया जाएगा। जल्द ही मरम्मत की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।”

सरकारी आंकड़ों में चाहे जितनी भी योजनाएं दिखाई जाएं, जमीनी हकीकत यह है कि बच्चों की जान खतरे में डालकर शिक्षा दी जा रही है। यह सिर्फ भवन की नहीं, व्यवस्था की भी जर्जरता का प्रमाण है। NEWS9 Global का यह अभियान तब तक जारी रहेगा जब तक हर बच्चा एक सुरक्षित और सम्मानजनक स्कूल भवन में शिक्षा पाने का हकदार नहीं बन जाता।

News 9 Global
Author: News 9 Global

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