नवगछिया: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में टिकट बंटवारे के बाद भागलपुर जिले की गोपालपुर विधानसभा सीट इस बार बगावत की प्रतीक बन गई है। सिटिंग विधायक नरेन्द्र कुमार नीरज उर्फ गोपाल मंडल को जब पार्टी ने टिकट नहीं दिया, तो उन्होंने खुली चुनौती देते हुए निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में नामांकन दाखिल कर राजनीतिक हलचल मचा दी।
गोपालपुर से उठी यह बगावत अब पूरे राज्य में चर्चा का विषय बन गई है। गोपाल मंडल ने स्पष्ट कहा कि “मैं जनता के बल पर लड़ूंगा, टिकट नहीं मिला तो क्या हुआ, जनता ही मेरा टिकट है।” इस ऐलान के बाद उनके समर्थकों में उत्साह की लहर है, वहीं पार्टी नेतृत्व के लिए यह फैसला सिरदर्द साबित हो रहा है।
पार्टी आलाकमान ने ऐसे नेताओं पर सख्त कार्रवाई करते हुए आदेश जारी किया है। जारी पत्र में कहा गया है कि —
“बिहार विधान सभा आम चुनाव 2025 में पार्टी की विचारधारा, पार्टी विरोधी गतिविधियों एवं संगठनात्मक आचरण के विरुद्ध कार्य करने में संलिप्त रहने के कारण संबंधित नेताओं को तत्काल प्रभाव से पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से निलंबित करते हुए निष्कासित किया जाता है।”
इस आदेश में प्रमुख रूप से शामिल नेताओं के नाम हैं —
श्री नरेन्द्र कुमार नीरज उर्फ गोपाल मंडल, सिटिंग विधायक, गोपालपुर, भागलपुर।
श्री हिमराज सिंह, पूर्व मंत्री, कदवा, कटिहार।
श्री संजीव श्याम सिंह, पूर्व विधायक, गया।
श्री महेश्वर प्रसाद यादव, पूर्व विधायक, गायघाट, मुजफ्फरपुर।
श्री प्रभात किरण, गायघाट, मुजफ्फरपुर।
गोपालपुर में गोपाल मंडल के निर्दलीय मैदान में उतरने से मुकाबला बेहद दिलचस्प हो गया है। इस सीट पर अब त्रिकोणीय संघर्ष की संभावना जताई जा रही है। स्थानीय राजनीतिक हलकों में चर्चा है कि गोपाल मंडल का जनाधार और उनकी सक्रिय छवि मुकाबले को अप्रत्याशित दिशा दे सकती है।
जानकारों का कहना है कि गोपालपुर से शुरू हुई यह बगावत अब बिहार की राजनीति में एक नई कहानी लिख सकती है। टिकट कटने से नाराज नेताओं का निर्दलीय चुनाव लड़ना पार्टी के लिए कई सीटों पर समीकरण बिगाड़ने वाला कदम साबित हो सकता है।
गोपालपुर की सियासत में जहां एक ओर गोपाल मंडल अपने समर्थकों के साथ नई ऊर्जा से प्रचार में जुटे हैं, वहीं पार्टी नेतृत्व अब संगठन को एकजुट रखने की कवायद में लगा है।
यह साफ है कि इस बार गोपालपुर न केवल भागलपुर जिले, बल्कि पूरे बिहार के चुनावी परिदृश्य में चर्चा के केंद्र में रहेगा।



