नवगछिया: सरकार तमाम योजनाएं चलाकर ग्रामीण क्षेत्रों में घर के नजदीक स्वास्थ्य सेवाएं देने का प्रयास कर रही है, लेकिन दूर-दराज के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) पर तैनात चिकित्सक समय से वहां जाने के लिए तैयार नहीं हैं। सोमवार सुबह 9:55 बजे दैनिक जागरण की टीम ने पड़ताल की तो रंगरा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में कुछ ऐसा ही हाल देखने को मिला। अस्पताल का भवन अच्छा खासा बना हुआ है, लेकिन प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र प्रभारी डा़ रंजन और अस्पताल प्रबंधक श्वेता कुमारी छुट्टी पर थे। यहां तीन चिकित्सक पदस्थापित हैं। लेकिन पड़ताल के दौरान एक चिकित्सक निकेश कुमार ड्यूटी पर तैनात मिले। दूसरे चिकित्सक डा़ पिंकेश कुमार सुबह 11:55 बजे पहुंचे। पूछने पर उन्होंने बताया कि अन्य सरकारी अस्पताल में भी आपरेशन करने जाना पड़ता है। इसलिए देर से पहुंचे हैं। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र प्रभारी डा़ रंजन के कमरे का ताला खुला हुआ था, लेकिन दरवाजा बंद था। पूछने पर कर्मियों ने बताया कि सफाई के लिए कमरा खोला गया था। फार्मासिस्ट भी देर से सुबह 10:45 बजे पहुंचे।
पीएचसी में समय से नहीं आते चिकित्सक
हाल रंगरा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का
अस्पताल प्रभारी और प्रबंधक गए थे छूट्टी पर
मरीजों के बेड पर चादर थे गंदे, नहीं होती नियमित सफाई
एएनएम व जीएनएम के भरोसे ही हो रहा प्रसव
3 चिकित्सक हैं पदस्थापित
1 चिकित्सक ड्यूटी पर तैनात मिले
स्थानीय ग्रामीण राजकुमार यादव ने बताया कि पीएचसी में समय से चिकित्सक नहीं आते हैं। ऐसे में मरीज भी इलाज के लिए दौड़ लगा रहे हैं। ग्रामीणों ने शिकायत भी की, लेकिन पीएचसी पर तैनात डाक्टर और कर्मचारियों पर इसका कोई फर्क नहीं पड़ा। कोई अधिकारी पीएचसी की व्यवस्थाओं को देखने के लिए नहीं आते हैं। इस कारण स्वास्थ्यकर्मी मनमानी से काम करते हैं।
अस्पताल पर 15 हजार आबादी की है जिम्मेदारी।
15 हजार की आबादी को स्वास्थ्य सुविधाएं देने के लिए रंगरा में पीएचसी का निर्माण कराया गया था। उम्मीद थी कि अब किसी के बीमार होने पर नवगछिया अनुमंडल अस्पताल या निजी चिकित्सक के यहां दौड़ नहीं लगानी पड़ेगी, लेकिन यह दिखावा ही साबित होकर रह गया है। पीएचसी पर डा. पिंकेश कुमार, डा़ हरिकेश, डा़ निकेश कुमार की तैनाती है। लेकिन समय पर नहीं आने से मरीजों को समुचित लाभ नहीं मिल पा रहा है।
पीएचसी में नहीं हैं महिला चिकित्सक
रंगरा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में महिला चिकित्सक नहीं है। जिससे खासकर प्रसव के लिए आने वाली महिला मरीजों को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। यहां एएनएम व जीएनएम के भरोसे ही प्रसव हो रहा है। वहीं, प्रसव के दौरान थोड़ी सी भी पेरशानी होने पर उन्हें रेफर कर दिया जाता है। जिससे प्रसव के लिए लोग निजी नर्सिंग होम का रूख करने लगे हैं। इसको लेकर पीएचसी में बिचौलिया संस्कृति हावी है। जांच में इसका खुलासा भी हुआ है।
विशेषज्ञ चिकित्सक एवं कर्मियों की कमी
पीएचसी में विशेषज्ञ चिकित्सक नहीं हैं। जिससे दुर्घटना एवं गंभीर बीमारी के शिकार मरीजों को उपचार के नवगछिया अनुमंडल अस्पताल या फिर भागलपुर जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कालेज अस्पताल जाना पड़ रहा है। ऐसे में गरीब तबके के लोगों को शारीरिक, मानसिक एवं आर्थिक रूप से परेशानी उठानी पड़ रही है।
मरीज खड़े होकर अपनी बारी का करते हैं इंतजार
एक कक्ष में ओपीडी चलता है। समुचित बैठने की व्यवस्था नहीं रहने के कारण मरीज खड़े होकर चिकित्सक के कमरे के बाहर अपनी बारी का इंतजार करते हैं। स्वास्थ्य केंद्र में खून जांच, ब्लड प्रेशर, एक्स-रे की सुविधा है। लेकिन एक्स-रे पुराने जमाने का है। वो भी हफ्ता में चार दिन ही खुला रहता है। डिजिटल एक्स-रे की सुविधा रहने से मरीजों को पैसे की बचत होती। लैब तकनीशियन चंदन कुमार और संजीव कुमार ने बताया कि स्टाफ की काफी के कारण दूसरे अस्पताल में भी ड्यूटी लगती है।
वार्ड में सफाई के नाम पर खानापूर्ति
महिला वार्ड में जब जागरण की टीम पहुंची तो दो प्रसव संबंधित महिला मरीज मौजूद थीं। लेकिन उनका बेड और चादर गंदा था और वार्ड में बदबू फैली हुई थी। वार्ड में सफाई के नाम पर खानापूर्ति की गई थी। हालांकि दैनिक जागरण की टीम को देख आधे घंटे बाद महिला वार्ड में चादर बदलने का काम हुआ। वो भी पुराने चादर बिछाए गए। प्रसव कराने पहुंची मदरौनी निवासी कल्पना कुमारी ने बताया कि रविवार से यहां भर्ती हूं। आप आए है तो थोड़ा साफ चादर बिछाया गया है। वहीं भीम दास नारायण सिंह टोला निवासी रानी कुमारी ने बताया कि मैं भी प्रसव कराने आई थी। मेरा बच्चा हो गया है, लेकिन किसी महिला डाक्टर का होना बहुत जरूरी है। भगवान भरोसे ही यहां प्रसव होता है। अस्पताल के सामने निजी क्लीनिक एवं जांच घर का चल रहा है। जिसकी जांच होने पर बड़े खुलासे हो सकते हैं।
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अस्पताल में पीने के पानी की है समस्या
अस्पताल के मरीजों ने कहा कि जब भी आते हैं आरओ मशीन खराब ही रहता है। यहां पीने की पानी की बड़ी समस्या है। पानी खरीद कर पीना पड़ता है। अस्पताल प्रबंधक श्वेता कुमारी ने बताया कि अभी मैं अंबेडकर जयंती की छुट्टी पर हूं। आने पर आरओ को जल्द ठीक करवा दूंगी।
मैं अभी पटना में हूं। छुट्टी लेकर आया हूं। मुझे अस्पताल से गायब चिकित्सकों की जानकारी नहीं है। मुझे किसी भी प्रकार की छुट्टी का आवेदन किसी कर्मी या चिकित्सक का नहीं मिला है।
डा़ रंजन, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र प्रभारी, रंगरा
